कैसे जानेंगे कि आप सौ-प्रतिशत स्वस्थ हैं?

कैसे जानेंगे कि आप सौ-प्रतिशत स्वस्थ हैं?

रोहित पाल

स्वस्थ रहना जीवन की सबसे बड़ी और पहली प्राथमिकता है। हर कोई स्वस्थ रहने की कामना करता है और ये जीवन का सबसे बड़ा सुख है। जैसे कहावत भी है कि 'पहला सुख निरोगी काया'। अगर देखा जाए तो हम किसी व्यक्ति को स्वस्थ तब मानते हैं जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होता है। क्योंकि जब शरीर स्वस्थ रहता है तब ही मस्तिष्क स्वस्थ रहता है। शरीर को स्वस्थ रखना हर व्यक्ति का कर्तव्य होता है क्योंकि अगर शरीर स्वस्थ नहीं होता है तो जीवन बहुत ही कष्टदायी होता है और यही नहीं जीवन भार जैसा लगता है।

लेकिन सवाल यह उठता है कि एक स्वस्थ शरीर कैसा होता है और हम किसी व्यक्ति को पूरी तरह स्वस्थ कब कह सकते हैं। जैसा कि हमने पहले बताया था कि जो व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होता है उसे ही स्वस्थ कहा जा सकता है। लेकिन ये पूरा सच नहीं है, लेकिन इसे 70 या 80 फीसदी सच माना जा सकता है। वास्तव में स्वस्थ शरीर का संबंध क्रियाशीलता से होता है। जो व्यक्ति शारीरक व मानसिक रूप से स्वस्थ होता है उसे ही पूरी तरह स्वस्थ कह सकते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार किसी व्यक्ति को स्वस्थ तब कहा जाता है, जिसके तीनों दोष कफ, पित्त और वात समान हों, जठराग्नि सम ( न अधिक तीव्र, न अधिक मंद) हो, शरीर को धारण करने वाली सात धातुएं ( रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और वीर्य ) एक सही अनुपात में हों, दैनिक क्रियाएं सही तरीके से हों और सारी दसों इन्द्रियां ( आंख, कान, नाक, त्वचा, हाथ, पैर, रसना, जीभ, गुदा और उपस्थ ), मन और आपकी आत्मा प्रसन्न रहे। ऐसे ही व्यक्ति को स्वस्थ कहा जा सकता है।

प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों में स्वास्थ्य की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं दी गई है। ऐलोपैथी और होम्योपैथी के चिकित्सक किसी भी प्रकार के रोग के अभाव को ही स्वास्थ्य मानते हैं। वे रोग को या उसके अभाव को तो माप सकते हैं, परन्तु स्वास्थ्य को मापने का उनके पास कोई पैमाना नहीं है। रोग के अभाव को मापने के लिए उन्होंने कुछ पैमाने बना रखे हैं, जैसे हृदय की धड़कन, रक्तचाप, लम्बाई या उम्र के अनुसार वजन, खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा आदि। इनमें से एक भी बात अनुभव द्वारा निर्धारित सीमाओं से कम या अधिक होने पर वे व्यक्ति को रोगी घोषित कर देते हैं और अपने हिसाब से उसकी चिकित्सा भी शुरू कर देते हैं।

लेकिन आयुर्वेद के अनुसार कुछ सामान्य से लक्षण हैं जिससे पता लगाया जा सकता है कि आप स्वस्थ है या नहीं। 

  • स्वस्थ व्यक्ति/इंसान को दोनों समय खुलकर भूख लगती है।
  • जब बिस्तर पर जाते हैं तो जल्दी और गहरी नींद आ जाती है।
  • स्वस्थ व्यक्ति सुबह जागने पर भरपूर ताजगी और एनर्जी महसूस करता है।
  • स्वस्थ शरीर के व्यक्ति/इंसान को सुबह बिना किसी बाधा के खुलकर शौच होता है।
  • स्वस्थ शरीर में गर्मी और ठंड सहने की पर्याप्त क्षमता होती है।
  • शाररिक श्रम करने पर ज्यादा थकान महसूस नहीं होती है।

यदि व्यक्ति इन कसौटियों पर खरा नहीं उतरता है तो वह निश्चित रूप से किसी न किसी प्रकार से शारीरक रूप से स्वस्थ नहीं है। स्वस्थ रहने के लिए आयुर्वेद के अनुसार बताये गए नियमों का पालन करें इसके आलावा योग को अपनाए। इनसे संबंधित लेख यहीं पढ़े....

 

इसे भी पढ़ें-

आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण नियम

आयुर्वेद की मानें तो ये लोकप्रिय व्‍यंजन एक साथ मिलाकर न खाएं

जिंदगी जीने के ये आयुर्वेदिक तरीके देंगे लंबी उम्र का वरदान

जड़ी बूटियों से कम नहीं हैं प्रदूषण में भी फेफड़ों को बचाने वाली ये 10 चीजें

 

 

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।